No-Cost EMI: Pros, Cons & How It Works

आजकल जब भी हम ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो एक शब्द बहुत बार सुनने को मिलता है – नो-कॉस्ट ईएमआई। खासकर जब आप मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी या अन्य महंगे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स खरीदते हैं, तो यह विकल्प बहुत आकर्षक लगता है।

यह सुविधा खासतौर पर उन लोगों के लिए होती है जो किसी प्रोडक्ट को एक बार में पूरी रकम चुकाकर नहीं खरीद सकते लेकिन उसे मासिक किश्तों में आराम से खरीदना चाहते हैं।

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हालांकि, इस सुविधा के अपने फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि नो-कॉस्ट ईएमआई क्या होती है, यह कैसे काम करती है, इसके क्या फायदे और नुकसान हैं और इससे जुड़ी जरूरी बातें जिन्हें जानना हर ग्राहक के लिए बेहद ज़रूरी है। साथ ही हम आपको बताएंगे कुछ जरूरी सवालों के जवाब जो अक्सर लोगों के मन में होते हैं।

नो-कॉस्ट ईएमआई क्या होती है?

नो-कॉस्ट ईएमआई का मतलब है कि जब आप किसी प्रोडक्ट को किश्तों में खरीदते हैं, तो आपको उसपर कोई ब्याज नहीं देना होता। यानी, अगर आपने ₹30,000 का मोबाइल 6 महीने की नो-कॉस्ट ईएमआई में खरीदा है, तो आप हर महीने ₹5,000 की किश्त देंगे और कुल ₹30,000 ही चुकाएंगे। इसमें न तो कोई ब्याज लगता है और न ही आपको अधिक भुगतान करना पड़ता है।

यह सुविधा आपको ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स जैसे Amazon, Flipkart और कई रिटेल स्टोर्स पर भी मिल जाती है, बशर्ते आपके पास मान्यता प्राप्त बैंक का क्रेडिट या डेबिट कार्ड हो।

नो-कॉस्ट ईएमआई कैसे काम करती है?

अब सवाल आता है कि आखिर यह बिना ब्याज वाली किश्तें कैसे संभव हैं। क्या सच में कोई भी लागत नहीं होती?

असल में, इसमें ब्याज तो होता है लेकिन उसे ग्राहक से नहीं बल्कि मर्चेंट या ब्रांड द्वारा वहन किया जाता है। यह एक प्रकार की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी होती है ताकि ग्राहक को यह खरीदारी सस्ती और सुविधाजनक लगे।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि किसी मोबाइल की कीमत ₹30,000 है और बैंक 12 प्रतिशत ब्याज ले रहा है। इस स्थिति में मर्चेंट ग्राहक को नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प देता है लेकिन वो मोबाइल की कीमत को पहले से बढ़ाकर ₹33,000 दिखा सकता है या वह ब्याज की राशि को छुपाकर अपने मार्जिन से उसे समायोजित कर सकता है।

इस तरह ग्राहक को लगता है कि उसने बिना किसी ब्याज के सामान खरीदा है, जबकि वास्तव में या तो कीमत पहले से बढ़ा दी गई होती है या ब्रांड ने कुछ हिस्सा खुद वहन कर लिया होता है।

नो-कॉस्ट ईएमआई कैसे लें?

इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आपको नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करने होंगे

  1. सबसे पहले उस वेबसाइट या स्टोर को चुनें जहां से आप कोई महंगी चीज़ खरीदना चाहते हैं जैसे कि मोबाइल, फ्रिज, वॉशिंग मशीन या लैपटॉप।
  2. चेक करें कि उस प्रोडक्ट पर नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प उपलब्ध है या नहीं।
  3. फिर पेमेंट के समय EMI विकल्प को चुनें और किश्तों की अवधि तय करें जैसे 3, 6, 9 या 12 महीने।
  4. नो-कॉस्ट ईएमआई चुनते समय ध्यान रखें कि वह आपके बैंक कार्ड से सपोर्टेड हो।
  5. पेमेंट पूरा करते ही ईएमआई चालू हो जाएगी और हर महीने आपके बैंक खाते से वह राशि कट जाएगी।

नो-कॉस्ट ईएमआई के फायदे

1. बिना ब्याज के भुगतान का विकल्प

इस सुविधा का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ग्राहक को कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं देना होता। जितनी कीमत प्रोडक्ट की है, उतनी ही राशि किश्तों में चुकानी होती है।

2. महंगी चीज़ें भी आसान किस्तों में खरीद सकते हैं

अगर आपके पास एक बार में पूरी राशि नहीं है, तो आप आसानी से मासिक किश्तों में भुगतान करके महंगे प्रोडक्ट्स खरीद सकते हैं।

3. बजट पर दबाव नहीं पड़ता

नो-कॉस्ट ईएमआई से आप अपने मासिक बजट को बिना बिगाड़े ज़रूरी चीज़ें खरीद सकते हैं। हर महीने एक तय राशि ही कटती है जिससे प्लानिंग करना आसान हो जाता है।

4. क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है

अगर आप समय पर किश्तों का भुगतान करते हैं, तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर भी अच्छा बनता है, जो भविष्य में लोन लेने में मदद करता है।

5. ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह उपलब्ध

यह सुविधा केवल ऑनलाइन नहीं बल्कि कई रिटेल स्टोर्स पर भी उपलब्ध होती है, जिससे आप आसानी से कहीं से भी शॉपिंग कर सकते हैं।

नो-कॉस्ट ईएमआई के नुकसान

1. छुपे हुए शुल्क हो सकते हैं

कई बार नो-कॉस्ट ईएमआई में बैंक प्रोसेसिंग फीस या जीएसटी चार्ज करता है जिसे ग्राहक को खुद वहन करना पड़ता है।

2. प्रोडक्ट की कीमत पहले से ज्यादा हो सकती है

कुछ मामलों में मर्चेंट ब्याज का खर्च कवर करने के लिए प्रोडक्ट की कीमत पहले से ही बढ़ा देते हैं। इससे ग्राहक को लग सकता है कि वह बिना ब्याज खरीद रहा है लेकिन असल में उसने ज्यादा भुगतान किया होता है।

3. कार्ड की लिमिट ब्लॉक हो जाती है

जितनी राशि में आपने ईएमआई ली है, उतनी रकम आपकी क्रेडिट कार्ड लिमिट से ब्लॉक हो जाती है। इससे भविष्य में बड़े खर्चों के लिए लिमिट कम पड़ सकती है।

4. समय पर भुगतान नहीं करने पर जुर्माना

अगर आप समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक पेनल्टी और ब्याज लगा सकता है जिससे आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो सकता है।

5. नो-कॉस्ट ईएमआई सब जगह उपलब्ध नहीं होती

सभी प्रोडक्ट्स या सभी बैंकों पर यह सुविधा नहीं मिलती। कई बार सिर्फ चुनिंदा कार्ड या प्लेटफॉर्म पर ही यह ऑफर मिलता है।

क्या नो-कॉस्ट ईएमआई लेना समझदारी है?

यह पूरी तरह से आपकी ज़रूरत और चुकाने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप कोई ज़रूरी चीज़ खरीदना चाहते हैं और आपके पास पूरी रकम नहीं है, लेकिन आप निश्चित रूप से समय पर किश्त भर सकते हैं, तो नो-कॉस्ट ईएमआई लेना एक अच्छा विकल्प है।

लेकिन बिना ज़रूरत के सिर्फ ऑफर देखकर महंगी चीज़ें खरीदना समझदारी नहीं है। हमेशा शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें कि कहीं कोई छिपा खर्च तो नहीं है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्रश्न 1: क्या नो-कॉस्ट ईएमआई वाकई में बिना ब्याज के होती है?
उत्तर: तकनीकी रूप से इसमें ब्याज तो होता है, लेकिन वह ग्राहक से नहीं लिया जाता। उसे मर्चेंट या ब्रांड वहन करता है, या फिर उसे पहले से कीमत में शामिल कर लिया जाता है।

प्रश्न 2: क्या डेबिट कार्ड से भी नो-कॉस्ट ईएमआई ले सकते हैं?
उत्तर: कुछ बैंकों जैसे HDFC, SBI, और ICICI अब डेबिट कार्ड पर भी नो-कॉस्ट ईएमआई की सुविधा देते हैं, लेकिन यह सुविधा सभी ग्राहकों को नहीं मिलती। इसके लिए पहले बैंक से पात्रता जांचनी होती है।

प्रश्न 3: अगर मैं समय से पहले पूरा भुगतान करना चाहूं तो क्या कर सकता हूं?
उत्तर: हां, आप ईएमआई को समय से पहले बंद कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ बैंक प्री-क्लोजर चार्ज वसूल सकते हैं। बेहतर होगा कि पहले से बैंक से इस बारे में जानकारी ले लें।

प्रश्न 4: क्या नो-कॉस्ट ईएमआई से मेरा क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है?
उत्तर: नहीं, बल्कि अगर आप समय पर किश्त चुकाते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर सुधर सकता है। लेकिन अगर आप डिफॉल्ट करते हैं या भुगतान में देरी करते हैं तो स्कोर खराब हो सकता है।

प्रश्न 5: क्या सभी प्रोडक्ट्स पर नो-कॉस्ट ईएमआई मिलती है?
उत्तर: नहीं, यह सुविधा सिर्फ कुछ चुनिंदा प्रोडक्ट्स और ब्रांड्स पर ही मिलती है। आपको खरीदारी से पहले चेक करना होगा कि जिस चीज़ को आप खरीदना चाहते हैं उस पर यह ऑफर उपलब्ध है या नहीं।

निष्कर्ष

नो-कॉस्ट ईएमआई एक शानदार सुविधा है जो ग्राहकों को महंगी चीज़ें आसानी से खरीदने का मौका देती है, वो भी बिना ब्याज दिए। लेकिन इसे लेने से पहले सभी शर्तों और संभावित खर्चों को ध्यान से समझना ज़रूरी है। अगर आप समझदारी से इसका उपयोग करते हैं, तो यह सुविधा आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।

तो अगली बार जब आप किसी महंगे प्रोडक्ट को खरीदने की सोचें, तो नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प जरूर परखें और समझदारी से फैसला लें। अगर यह लेख आपको उपयोगी लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें और नीचे कमेंट करके अपने सवाल पूछना न भूलें।

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